अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न – अन्वेषिका
सभी प्रविष्टियाँ केवल अन्वेषिका के ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से ही प्रस्तुत की जानी चाहिए। ईमेल, डाक या किसी अन्य माध्यम से भेजी गई प्रविष्टियाँ स्वीकार नहीं की जाएंगी।
हाँ, लेखकों को प्रविष्टि फ़ॉर्म प्राप्त करने, पांडुलिपियाँ अपलोड करने और प्रगति पर नज़र रखने के लिए पोर्टल पर एक खाता बनाना होगा।
- शोध लेख/शोध पत्र (4000-5000 शब्द)
- नीति पत्र (4000-5000 शब्द)
- चिंतन (1000 शब्द)
- पुस्तक समीक्षा (500 शब्द)
सभी प्रविष्टियाँ हिंदी में प्रस्तुत की जाएं।
पत्रिका के लिए पूरे वर्ष-भर पांडुलिपियाँ स्वीकार की जाती हैं। लेखक किसी भी समय प्रविष्टियाँ जमा कर सकते हैं, क्योंकि पोर्टल पूरे वर्ष सक्रिय रहेगा। हालाँकि, किसी विशेष अंक में शामिल करने के लिए, प्रविष्टियाँ, घोषित अंतिम तिथि से पहले प्राप्त होनी चाहिए और अंतिम तिथि के बाद प्राप्त शोध पत्रों पर अगले अंक के लिए विचार किया जाएगा।
मुख्य पाठ में आपका नाम, संस्थान, ईमेल, फ़ोन नंबर या आपकी पहचान बताने वाला कोई अन्य विवरण नहीं होना चाहिए। ये केवल शीर्षक वाले पृष्ठ और प्रविष्टि फॉर्म में ही दिए जाएं।
यदि मुख्य पाठ में लेखक की पहचान बताने वाली कोई जानकारी है, तो पांडुलिपि अस्वीकार कर दी जाएगी ।
मुख्य पाठ में: परिचय, कार्यप्रणाली, परिणाम, चर्चा, निष्कर्ष और संदर्भ शामिल होने चाहिए।
एपीए (APA) 7वें संस्करण के दिशानिर्देश।
- माइक्रोसॉफ्ट वर्ड (.doc या .docx), A4 आकार।
- यूनिकोड कोकिला, 16-पॉइंट फ़ॉन्ट, डबल स्पेसिंग।
- सभी तरफ एक इंच का मार्जिन।
- पृष्ठ संख्या (नीचे दाईं ओर) और हैडर में एक चलायमान शीर्षक।
हाँ, आंकड़ों के नीचे उप शीर्षक (caption) होने चाहिए; तालिकाओं के ऊपर शीर्षक होने चाहिए। दोनों को क्रमानुसार क्रमांकित किया जाए और पाठ में उद्धृत किया जाए।
नहीं। अन्वेषिका के लिए लेखकों से कोई प्रस्तुति या प्रकाशन शुल्क लिया जाता है।
लेखकों को यह प्रमाणित करना होगा कि उनकी रचना साहित्यिक-चोरी से मुक्त है। पोर्टल पर जाँच-सूची के एक भाग के रूप में वचन-पत्र शामिल है।
सभी प्रविष्टियाँ 'ब्लाइंड समकक्ष व्यक्ति समीक्षा' प्रक्रिया से गुज़रती हैं। प्रारंभिक संपादकीय जाँच के बाद विषय-विशेषज्ञों द्वारा समीक्षा की जाती है। लेखकों को अपनी पांडुलिपि संशोधित करके पुनः प्रस्तुत करने के लिए कहा जा सकता है। अंतिम निर्णय संपादकीय टीम का होता है।
प्रविष्टियाँ शिक्षक शिक्षा के अनुरूप होनी चाहिए, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- शैक्षणिक नवाचार
- शिक्षक व्यावसायिक विकास
- शैक्षिक नीतियां और दृष्टिकोण
- शिक्षकों की वैश्विक मांग
- सामाजिक-भावनात्मक शिक्षा (एसईएल)
- आकलन और मूल्यांकन
- समानता, विविधता और समावेशन
- सहयोग और सामुदायिक सहभागिता
- शिक्षक, एक बहुमुखी इकाई के रूप में
- शिक्षण पद्धतियों और नवीन शैक्षिक दृष्टिकोणों की खोज
- व्यक्तिगत आख्यान और प्रतिबिंब
- बहुभाष्यता
- कोई अन्य
शिक्षक, शिक्षक प्रशिक्षक, शोधकर्ता, प्रोफेसर, शिक्षाविद, नीति निर्माता, प्रशासक और एडटेक नवप्रवर्तक, बशर्ते कि कार्य प्रस्तुतिकरण प्रक्रिया और नैतिक मानकों का पालन करता हो।
- पोर्टल पर 'हमसे संपर्क करें' विकल्प के माध्यम से
- सामान्य प्रश्नों के लिए: anweshika@ncte-india.org
- अधिक जानकारी: ncte.gov.in